Friday, 29 May 2020

098 - रुह को अन्दर जानें में कोनसी रुकावट है ?


"कर नैनों दीदार महल में प्यारा है।"  इस शब्द के द्वारा कबीर साहब नें अन्दर का भेद जितना खोला है उतना किसी भी संत ने नहीं खोला। इस पर सतसंग करते हुए महाराज सावन सिंह जी फरमाते हैं :

Sunday, 24 May 2020

रूहानी मार्ग की बातें - क्या हमें सचखंड जाने के लिए चार जन्म लेने पड़ते है ?

बाबा सावन सिंह जी कहते थे यह कोई जरूरी नहीं की सचखंड जाने की लिए चार जन्म लेने पड़ते है ।  हमने सत्संग में सगंत को समजाने के लिए कहा था।  महाराज जी ने कहा कि चार बार जनम

Sunday, 17 May 2020

097 - हमे संतो से क्यों नहीं मांगना चाहिए ?

रामायण में बहुत अच्छी शिक्षा मिली . एक ऋषि राम जी को कोई वरदान मांगने के लिए बोलते है, पर राम जी उनसे क्षमा मांगते हुए बोलते

Friday, 8 May 2020

096 - असली संन्यासी कोन है ?



एक राजा की पुत्री के मन में वैराग्य की भावनाएं थीं. जब राजकुमारी विवाह योग्य हुई तो राजा को उसके विवाह के लिए योग्य वर नहीं मिल पा रहा था ।
राजा ने पुत्री की भावनाओं को समझते हुए बहुत सोच-विचार करके उसका विवाह एक गरीब संन्यासी से करवा

Friday, 1 May 2020

095 - हम कैसे विषय - विकारो में उलझ कर परमात्मा को भुलाए बैठे हैं ?



एक बार एक राजा नगर भ्रमण को गया तो रास्ते में क्या देखता है कि एक छोटा बच्चा माटी के खिलौनो को कान में कुछ कहता फिर तोड कर माटी में मिला रहा है। राजा को बडा अचरज हुआ तो उसने बच्चे से पूछा

Friday, 24 April 2020

094 - महात्मा ने एक शिष्य को कैसे समझाया ?

एक विद्वान महात्मा थे। जब वह बूढ़े होने लगे तो उन्होंने  सोचा कि वे गुप्त विद्याएँ,जिन्हें सिर्फ वही जानते है ,कुछ भरोसेमंद शिष्यों को सिखा देनी चाहिए। उन्हीं गुप्त विद्याओं में से एक थी लोहे से सोना बनाने की विद्या।

Friday, 10 April 2020

093 - असली आराधना क्या है ?

एक बार श्री गुरु नानक देव जी के पास एक नवाब और काजी आये ! उन्होंने आकर गुरु जी से कहा - आप कहते है ना कि ना कोई हिन्दु और ना मुसलमान ; सब कुदरत के बन्दे हैं अगर आप यही मानते है कि ईश्वर

Friday, 3 April 2020

092 - संत कर्म-बंधन कैसे काटते हैं ?

एक बार दशम पातशाही श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी का दरबार सजा हुआ था। कर्म-फल के प्रसंग पर पावन वचन हो रहे थे कि जिसकी जो प्रारब्ध है उसे वही प्राप्त होता है कम या अधिक किसी को प्राप्त नहीं होता क्योंकि

Friday, 27 March 2020

091 - क्या वो सिमरन कर रहा है ?

सतगुरु का नूर और उनकी ताक़त अथाह और अंनत है । लेकिन अगर हम उनके नूर को देख नहीं पाते तो इसका कारण है कि हम उन्हें मनुष्य रूप समझते हैं । हीरे की असली क़ीमत जौहरी ही जानता है, केवल माँ ही

Friday, 20 March 2020

090 - हमे मुक्ति कैसे मिलेगी ?


जब आत्मा इस संसार में आती है, तो इसे हम जीव का जन्मदिन कहते हैं. पर वास्तव में वह आत्मा, स्थूल शरीर रूपी कब्र में कैद हो जाती है. इसलिए यह कहना ज्यादा उचित होगा, कि यह जीवात्मा का मौत का दिन है.

Saturday, 14 March 2020

रूहानी मार्ग की बातें - जीवन में सफलता मिल रही है अथवा नहीं ?

1. जीवन में सफलता मिल रही है अथवा नहीं ? इस बात का कैसे पता लगाया जाए ? 
इस प्रश्न का उत्तर है कि -  सबसे पहले तो यह समझ लें, कि सफलता है क्या ? 

Saturday, 7 March 2020

089 - आज ही क्यों नहीं ?


एक बार की बात है कि एक शिष्य अपने गुरु का बहुत आदर-सम्मान किया करता था |गुरु भी अपने इस शिष्य से बहुत स्नेह करते थे लेकिन  वह शिष्य अपने अध्ययन के प्रति आलसी और स्वभाव से दीर्घसूत्री था | सदा

Friday, 28 February 2020

088 - एक सत्संगी के कोन से चार रतन हैं ?


1. पहला रत्न है :-  " माफी " 

तुम्हारे लिए कोई कुछ भी कहे, तुम उसकी बात को कभी अपने मन में न बिठाना, और ना ही उसके लिए कभी प्रतिकार की भावना मन में रखना, बल्कि उसे माफ़ कर देना। 

Friday, 21 February 2020

087 - गुरमुख और मनमुख में क्या अन्तर होता है ?


एक दिन कुला, भुला और भागीरथ तीनों ही मिलकर गुरु अर्जन देव जी के पास आए | उन्होंने आकर प्रार्थना की कि हमें मौत से बहुत डर लगता है आप हमें जन्म मरण के दुख से बचाए | गुरु जी कहने लगे, आप गुरमुख

Friday, 14 February 2020

086 - मालिक कैसे हमारे गुनाह माफ़ कर देता है ?


 एक बार अकाल पड़ गया। बरसात का नामों निशान नहीं था। हाहाकार मच गया। बच्चों से लेकर बुजुर्ग सभी पानी के बिना तड़पने लगे। सभी लोगों ने निश्चय किया कि वह सभी एक साथ मिलकर खुले मैदान में अल्लाह

Friday, 7 February 2020

रूहानी मार्ग की बातें - भारतीय रूहानियत चार सिद्धांतों पर काम करती हैं



भारतीय रूहानियत चार सिद्धांतों पर काम करती हैं । हरेक मनुष्य जो आध्यात्मिक रास्ते पर चलना चाहता है उसे ये सिद्धांत अपनाने चाहिए।

Friday, 31 January 2020

085 - संसार को राजी करना क्यों असंभव है ?


एक साधू किसी नदी के पनघट पर गया और पानी पीकर पत्थर पर सिर रखकर सो गया. पनघट पर पनिहारिन आती-जाती रहती हैं तो आईं तो 
एक ने कहा - "आहा! साधु हो गया, फिर भी तकिए का मोह नहीं गया. पत्थर का ही सही, लेकिन रखा तो है।"

Sunday, 26 January 2020

084 - चीजें हमेशा वैसी नहीं होतीं, जैसी दिखती हैं ?



सन्तों की अपनी ही मौज होती है! एक संत अपने शिष्य के साथ किसी अजनबी नगर में पहुंचे। रात हो चुकी थी और वे दोनों सिर छुपाने के लिए किसी आसरे की तलाश में थे। उन्होंने एक घर का दरवाजा खटखटाया, वह

Saturday, 18 January 2020

083 - गुरु की माहिमा को कोन जान सकता है ?



एक संत के पास 30 सेवक रहते थे ।  एक सेवक ने गुरुजी के आगे अरदास की महाराज जी मेरी बहन की शादी है तो आज एक महीना रह गया है तो मैं दस दिन के लिए वहां जाऊंगा ।  कृपा करें ! आप भी साथ चले तो अच्छी बात है ।  गुरु जी ने कहा बेटा देखो टाइम बताएगा ।  नहीं तो तेरे को तो हम जानें ही देंगे , उस सेवक

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