Monday 25 November 2019

077 - भजन सिमरन में तरक्की कैसे होती है ?


भजन सुमिरन में तरक्की  हम अक्सर उदास, निराश हो जाते हैं। लेकिन बाबा जी हमेशा अपने सत्संगों में फरमाते हैं। कि संतमत में असफलता नाम की कोई चीज नहीं है। 

Sunday 17 November 2019

076 - गुरु नानक देव जी के अनमोल विचार


  • गुरु नानक देव जी का मानना था कि भगवान एक है और वह हर जगह विघमान हैं।
  • गुरु नानक देव जी कहते थे कि हमें हमेशा लोभ का त्याग करना चाहिए और मेहनत से धन कमाना चाहिए।

Saturday 9 November 2019

075 - हमे देहधारी सतगुरु क्यों जरूरत होती है ?

"यदि परमात्मा की दया न होती तो हमें उससे बिछड़ने का दुख महसूस न होता और न ही वापस अपने असली घर जाने की इच्छा पैदा होती। उस कुलमालिक की कृपा के बिना न तो हमारा सतगुरु से मिलाप हो सकता है और न

Saturday 2 November 2019

074 - कर्मो का खेल कैसे काम करता है ?

एक बार एक गरीब लकड़हारा सूखी लकडि़यों की तलाश में जंगल में भटक रहा था। साथ में बोझा ढोने के लिये उसका गधा भी था। लकडि़याँ बटोरते-बटोरते उसे पता ही नहीं चला कि दिन कब ढल गया। शाम का

Saturday 26 October 2019

रूहानी मार्ग की बातें - पाँचो चोरो पर विजय प्राप्त कर ली

1. ऐ मेरे मालिक - मैं बिलकुल नादान हूँ, मैं नहीं जानता कि तेरे से क्या मांगू ? जो तूं मेरे लिए उचित समझे, जो कुछ भी तूं मुझे दे या जहाँ पर तूं मुझे जैसे रखे , उस में मैं खुश रहूँ । मेरे में कोई गुण नहीं , कोई भक्ति नहीं , मेरे कर्म काले और पापों से भरे हुए हैं । मेरे अंदर कोई अच्छाई नहीं है , मन ने मेरे को बुरी तरह से कुचल रखा है ।

Sunday 20 October 2019

073 - भगवान ने एक भक्त की रक्षा कैसे की ?

एक बुजुर्ग दरिया के किनारे पर जा रहे थे। एक जगह देखा कि दरिया की सतह से एक कछुआ निकला और पानी के किनारे पर आ गया। उसी किनारे से एक बड़े ही जहरीले बिच्छु ने दरिया के अन्दर छलांग लगाई और कछुए की पीठ पर सवार हो गया। कछुए ने तैरना शुरू कर दिया। वह बुजुर्ग बड़े हैरान हुए।

Tuesday 15 October 2019

072 - सत्संग में जाने का क्या महत्व है ?


एक युवक प्रतिदिन संत का सत्संग सुनता था। एक दिन जब सत्संग समाप्त हो गया , तो वह संत के पास गया और बोला, ‘महाराज! मैं काफी दिनों से आपके सत्संग सुन रहा हूं, किंतु यहां से जाने के बाद मैं अपने

Friday 4 October 2019

071 - एक रूहानी आत्मा का अंदरूनी सफर कैसा होता है ?





रुहानी आत्मा का सफर एक सतसगी ने अपने सतगुरु को पत्र भेजकर सांझा किया . वैसे तो आंतरिक अनुभव हमेशा निजी होते हैं परंतु भजन और सिमरन को प्रोत्साहित करने के लिए यह पत्र हम सत्संगिओ के लिए एक

Saturday 28 September 2019

070 - गुरु बिन गति नहीं

कबीर साहब जी कहते हैं -  संत धोबी जैसा काम करते हैं। जैसे धोबी के पास कितने ही कपड़े आते हैं,

मैकेनिक के, हलवाई के या फिर और भी ना जाने किनके-किनके आते हैं, लेकिन वो किसी से भी उनकी जात

Thursday 19 September 2019

रूहानी मार्ग की बातें - सत्संगी किसे कहा जाये ?


1. 'पूर्ण महात्मा' या 'सच्चे-सँत' हमेँ परमात्मा के साथ मिलाने के लिये आते हैँ. वे इच्छाओँ से मुक्त होते हैं, और हमेँ अपने जैसा ही बना लेते हैँ ! कबीर साहिब कहते हैँ :-

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