भजन सुमिरन में तरक्की हम अक्सर उदास, निराश हो जाते हैं। लेकिन बाबा जी हमेशा अपने सत्संगों में फरमाते हैं। कि संतमत में असफलता नाम की कोई चीज नहीं है।
इसे एक उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है। चाईनींस बांस होता है, इस के पौधे को आप लगाएंगे, तो देखेंगे कि एक साल तक इस में कोई वृद्धि नहीं हुई, दो साल, तीन साल, चार साल, पांच साल इसमें कोई वृद्धि नहीं होती। पांच साल के बाद यह अचानक बढ़ने लगता है, और जमीन से सीधा 40 फुट ऊपर चला जाता है। तो क्या हम यह कहेंगे कि इसमें पांच साल बाद वृद्धि हुई? क्या इसका विकास पांच साल बाद हुआ है? नहीं ऐसा नहीं कहा जाएगा। बल्कि, यह कहा जाएगा, कि इस की जड़ ने पांच साल लगा दिए। धीरे-धीरे बढ़ने में, जब इसकी जड़ मजबूत हुई, तभी अचानक से बढ़ा और 40 फीट ऊपर चला गया।
भजन सिमरन भी ठीक इसी तरह है। अंदर ही तरक्की होती रहती है। लेकिन यह उस कुल मालिक के ऊपर है, कि हमें इसका फल कब मिलेगा ? इसी लिए, बिना नाउम्मीदी के, बिना निराश हुए, हमें हमेशा रोज बिना नागा किये भजन सिमरन में बैठना है। असफलता तो संतमत में होती ही नहीं है। हाँ कितनी देर लगेगी? यह जरूर उस कुल मालिक के ऊपर है।
एक सवाल जवाब के सैशन में एक लड़के ने कहा "बाबाजी, मैं कुछ भी करता हूँ, हमेशा असफल रहता हूँ. चाहे वो कोई काम हो, नौकरी हो, या फिर अपनी पर्सनल लाइफ...ऐसा क्यों बाबाजी ?"
No comments:
Post a Comment