Sunday 17 June 2018

025 - असली सेवा क्या होती है ?

जब हज़रत जुनैद बग़दादी क़ाबा को जा रहे था तो उसने रास्ते में एक कुत्ते को देखा, जो ज़ख्मी हालत में पड़ा था। उसके चारों पाँव पर से गाड़ी गुज़र गयी थी और वह चल नही सकता था। फ़क़ीर को रहम आया, लेकिन

Thursday 7 June 2018

024 - मालिक की प्लानिंग का क्या पता ?


पलटू अटक न कीजिए चौरासी घर फेर। बड़ी मुश्किल से आदमी हुए हो बड़ी मुश्किल से! 

चौरासी कोटि योनियों के चक्कर काटते—काटते यह असंभव घटा है कि मनुष्य हुए हो। कितने तड़फे होओगे, मनुष्य होने के लिए कितनी—कितनी आकांक्षाएं, अभीप्साएं न की होंगी , कितनी प्रार्थनाएं न की होंगी! 

Friday 1 June 2018

023 - भक्त रविदास जी ने रूहानी दोलत कैसे दीखाई ?

हमेशा की तरह सिमरन करते हुए अपने कार्य में तत्लीन रहने वाले भक्त रविदास जी आज भी अपने जूती गांठने के कार्य में ततलीन थे .
अरे, मेरी जूती थोड़ी टूट गई है इसे गाँठ दो - राह गुजरते एक पथिक ने भगत रविदास जी से थोड़ा दूर खड़े हो कर कहा.

Friday 25 May 2018

022 - अनजाने में हम पाप कर्म कैसे करते हैं ?



एक राजा ब्राह्मणों को लंगर में महल के आँगन में भोजन करा रहा था । राजा का रसोईया खुले आँगन में भोजन पका रहा था । उसी समय एक चील अपने पंजे में एक जिंदा साँप को लेकर राजा के महल के उपर से गुजरी । तब पँजों में दबे साँप ने अपनी आत्म-रक्षा में चील से

Thursday 17 May 2018

021 - हमारे विचार कर्मो को कैसे प्रभावित करते हैं ?


बुद्ध अपने शिष्यों के साथ बैठे थे। एक शिष्य ने पूछा- "कर्म क्या है?"
बुद्ध ने कहा- "मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ।"

एक राजा हाथी पर बैठकर अपने राज्य का भ्रमण कर रहा था।अचानक वह एक दुकान के सामने रुका और अपने मंत्री से कहा- "मुझे नहीं पता क्यों, पर मैं इस दुकान के स्वामी को फाँसी देना चाहता हूँ।" यह सुनकर 

Thursday 10 May 2018

020 - क्रोध में रूह कैसे फैलती है ?


क्रोध में रूह फैलती है। जब क्रोध करो, आँखे लाल सुर्ख़ हो जाती हैं। रोम-रोम खड़ा हो जाता है, चेहरा और ही हो जाता है। यहाँ तक कि आदमी अक़्ल से बेबहरा हो जाता है यानी संतुलन खो बैठता है।

Friday 4 May 2018

019 - हमे कोनसे लोगो की संगत करनी चाहिए ?


परमात्मा अंग संग है रग-रग की जानता है . उन्हे धोखा मत दो गुरूमुखो की संगती करो ताकि यह मन काबू मे आ जाये काम,क्रोध,लोभ,मोह,अंहकार से ऊपर उठ सको. यह मन जो नित नई ख्वाईशे रखता है एक प्रभु को

Saturday 28 April 2018

018 - हमें अपनी करनी का फल क्यों नहीं माँगना चाहिए ?



एक साधु एक शिला (यानी पत्थर) पर बैठा तपस्या कर रहा था। उस साधू ने उस एक पत्थर पर 100 साल तपस्या की। एक दिन जब साधु तपस्या मे बैठा था तब आकाशवाणी हुई की हे साधु हम खुश हैं, मांगो क्या

Thursday 19 April 2018

017 - सतगुरु अपना उत्तराधिकारी कैसे चुनते है ?


जब तीसरे गुरु, गुरु अमरदास जी ने अपना उत्तराधिकारी चुनने का मन बनाया तो उनके शिष्यों में से बहुत-से ऐसे थे जिन्हें विश्वास था कि शायद गुरु साहिब उन पर दया करके उन्हें अपना उत्तराधिकारी नियुक्त कर दें। पर जैसा कि आम तौर पर ऐसी स्थिति में होता है, गुरु साहिब ने सबको इम्तिहान की कसौटी पर रख दिया।

Friday 13 April 2018

016 - गुरु और भगवान में क्या अंतर है


एक आदमी के घर भगवान और गुरु दोनो पहुंच गये। वह बाहर आया और चरणों में गिरने लगा। वह भगवान के चरणों में गिरा तो भगवान बोले– रुको रुको पहले गुरु के चरणों में जाओ। वह दौड़ कर गुरु के चरणों में गया।

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