Friday, 6 June 2025

188 - अपनी सुरत को अंदर एकाग्र करने की रेहमत कैसे प्राप्त करें ?

 


  • प्रेम एक ऐसा जज्बा है, जिसका नमूना लिखने में नहीं आ सकता, सत्संगी हो या गैर-सत्संगी, बिना प्रेम के दोनों अंधे हैं। सत्संगी उसका नाम है, जो प्रेम वाली आँख पैदा करे। प्रभु-परमात्मा के मार्ग में अपनी जान कुर्बान करे, फिर मुर्शिद अमृत रूपी प्याला उसको पिलाता है। फिर रोज-रोज आसमानी सैर करता है। तब दुनियावी बुराइयों में लगे लोगों को लानत मारता है कि तुम अभी तक काल की जेल में कैदी बने बैठे हो। छोड़ो झूठ और अपने जन्म को सफल करो।


  • सतगुरु को अन्दर प्रकट करने के लिए, सुमिरन ही असली तरीका है। अपने मन को हमेशा उसकी याद में लगाकर रखो।


  • चाहे पाँच मिनट सुमिरन हो, दस मिनट सुमिरन हो या आधा घण्टा हो लेकिन सच्ची लगन से हो। यहाँ मृत्युलोक में किया गया घंटों का सुमिरन रूहानी मण्डलों के हजारों साल के सुमिरन से बेहतर है जो भागों वाला होता है वही अपनी सुरत को अंदर एकाग्र करके अंदर की रहमतें प्राप्त करता है। अपने मन को तुम्हें रोज समझाना चाहिए। जिस प्रकार एक पिता 
  • अपने बच्चे को पढ़ने के लिए प्यार से समझाता है, उसी तरह तू भी अपने मन को प्रभु भक्ति में लगाने के लिए प्यार से समझा।


  • मन के साथ लड़ाई करना ही भजन है। मन की हर समय चौकीदारी करो। इसको कभी खाली न रहने दो और बुरे काम के लिए कोई मौका या रियायत न दो। मन के द्वारा किये हुए हर बुरे कार्य का फल तुम्हें भोगना पड़ता है। अत: तुम सतगुरु जी की दया मेहर लेकर मन की हर समय चौकीदारी करो।

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