एक सत्संग कर्ता ने काल और दयाल के बारे में समझाया, आखरी वाली लाइन बड़ी सुन्दर थी। जब रूह सत्संग में जाने लगती है, भजन सिमरन पर जोर देने लगती है नाम की कमाई करने लग जाती है तब
काल समझ जाता है की ये रूह अब हाथ से छूट जाएगी।तब काल अपना जाल फैलाता है आपको नौकरी में तरक्की बिज़नस में मुनाफा बढ़ोतरी आदि मिलनी शुरू हो जाती है। आप सोचते हो ये सत्संग में जाने और नाम की कमाई का इनाम मिल रहा है पर नही ये तो काल का जाल है।
महाराज जी कहते थे उस वक़्त आप समझदारी से काम लो। अगर आपके पास दुगुना धन आ रहा है, मान सम्मान बढ़ गया है तो आप भी चतुराई दिखाते हुए आपकी ड्यूटी डबल कर दो नाम की कमाई में दुगुने जोश से जुट जाओ।
आपका दुगुना फायदा है आप की दुनयावी सम्पति भी बढ़ रही और आपकी रूहानी कमाई भी बढ़ रही है.
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