Sunday 29 November 2020

122 - एक छोटे से बच्चे ने राजा को ज्ञान की बात समझाई ?

एक बार एक राजा नगर भ्रमण को गया, तो रास्ते में क्या देखता है कि एक छोटा सा बच्चा माटी के खिलौनों के कान में कुछ कहता है और फिर उन्हें तोड़कर माटी में मिला देता है।

राजा को बड़ा अचरज हुआ, तो उसने बच्चे से पूछा- तुम ये सब क्या कर रहे हो ?

बच्चे ने जवाब दिया- मैं इनसे पूछता हूं कि कभी राम नाम जपा? और माटी को माटी में मिला रहा हूं।

तो राजा ने सोचा, इतना छोटा सा बच्चा और इतनी ज्ञान की बात। राजा ने बच्चे से पूछा - क्या तुम मेरे साथ मेरे राजमहल में रहोगे ?

तो बच्चे ने कहा- जरुर रहूंगा ! पर मेरी चार शर्तें हैं।

1) जब मैं सोऊं तब तुम्हें जागना पड़ेगा।

2) मैं भोजन खाऊंगा मगर तुम्हें भूखा रहना पड़ेगा।

3) मैं कपड़े पहनूंगा मगर तुम्हें नग्न रहना पड़ेगा।

4) जब मैं कभी मुसीबत में होऊं तो तुम्हें अपने सारे काम छोड़कर मेरे पास आना पड़ेगा।

अगर आपको ये शर्तें मंजूर हैं, तो मैं आपके राजमहल में चलने को तैयार हूं।

राजा ने कहा- ये तो असम्भव है। तो बच्चे ने कहा- फिर मैं अपने उस परमात्मा का आसरा छोड़कर आपके आसरे क्यूं रहूं, जो खुद जागता है और मैं निश्चिंत होकर सोता हूं, जो खुद भूखा रहकर भी मुझे खिलाता है, जो खुद नग्न रहकर भी मुझे पहनाता है‌ और जब भी मैं किसी मुसीबत में होता हूं तो वो बिना बुलाए ही मेरे लिए अपने सारे काम छोड़कर दौड़ा आता है।

मतलब केवल इतना सा ही है कि हम सब कुछ जानते और समझते हुए भी बेकार के विषय-विकारों में उलझकर अपने परमात्मा को भुलाए बैठे हैं और यहां तक कि हम उस प्यारे के नाम तक को ही भुलाए बैठे हैं, जो पल-पल हमारी सम्भाल कर रहे हैं।


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