Friday 5 October 2018

036 - ईश्वर की बंदगी में सबर का क्या महतव है ?


बहुत समय पहले की बात है, एक संत हुआ करते थे । उनकी इबादत या भक्ति इस कदर थीं कि वो अपनी धुन में इतने मस्त हो जाते थे की उनको कुछ होश नहीं रहता था । उनकी अदा और चाल इतनी मस्तानी हो जाती थीं । वो जहाँ जाते , देखने वालों की भीड़ लग जाती थी।

Saturday 22 September 2018

035 - हमारा ध्यान सिमरन में क्यों नहीं लगता ?



हम सत्संगों में और संत महात्माओं के मुखाग्र से सुनते आते हैं, कि चलते-फिरते उठते-बैठते अपनी लिव नाम के सिमरन के साथ जोड़ के रखो


बहन या माँ किचन में हो या घर का काम काज करते हुए सिमरन करे। भाई दुकान या ऑफिस में भी अपने ख्याल को सिमरन के साथ जोड़ के रखें। लेकिन संत महात्मा ये भी कहते हैं कि ऐसे नाम का सिमरन

Wednesday 5 September 2018

034 - असली सत्संगी कोन है ?


हम सब यहॉ अपने पुराने कर्मों की वजह से ही इकठे हुए हैं. हर किसी का किसी से कुछ लेनदेन है.
अगर कोई हमें दुख देता है तो वो भी हमसे हमारे पिछले कर्मों का हिसाब ही ले रहा है. और ये तो बहुत अच्छी बात है कि हम अपना हिसाब इसी जन्म में ही पूरा करके चुका दें ताकि दुबारा हमें न आना पड़े.

Monday 13 August 2018

033 - सुकरात को रूहानी ज्ञान कैसे हुआ ?



सुकरात समुन्द्र तट पर टहल रहे थे| उनकी नजर तट पर खड़े एक रोते बच्चे पर पड़ी | 

वो उसके पास गए और प्यार से बच्चे के सिर पर हाथ फेरकर पूछा , -''तुम क्यों रो रहे हो?''

Thursday 2 August 2018

032 - क्या ये इंसान नहीं है ?


एक राजा की आदत थी, कि वह भेस बदलकर लोगों की खैर-ख़बर लिया करता था, एक दिन अपने वज़ीर के साथ गुज़रते हुए शहर के किनारे पर पहुंचा तो देखा एक आदमी गिरा पड़ा है. राजा ने उसको हिलाकर देखा तो

Friday 27 July 2018

031 - हम कर्मो के बन्दनो में कैसे फसे हैं ?


महात्मा बुद्ध की एक कहानी है । वह अपनी यात्रा के दौरान एक जगह आकर रुके। तब एक व्यक्ति उनपर आकर थूकता है तो वो उस व्यक्ति से कहते और कुछ या समाप्त ? तो व्यक्ति हैरान होता उसे उमीद थी के बुद्ध चिलायेंगे क्रोधित होंगे मगर ऐसा नही हुआ और व्यक्ति क्षमा मांग कर और समाप्त कह कर आगे बढ़

Sunday 22 July 2018

030 - एक फकीर ने माया के बारे में कैसे समजाया ?

किसी गांव में एक फकीर घूमा करता था। उसकी सफेद लंबी दाढ़ी थी और हाथ में एक मोटा डंडा। चीथड़ों में लिपटा उसका ढीला—ढीला और झुर्रियों से भरा बुढ़ापे का शरीर। अपने साथ एक गठरी लिए रहता था सदा। 

Thursday 12 July 2018

029 - हमे मालिक की रजा में क्यों रहना चाहिए ?

एक फकीर अरब मे हज के लिए पैदल निकला। रात हो जाने पर एक गांव मे शाकिर नामक व्यक्ति के दरवाजे पर रूका। शाकिर ने फकीर की खूब सेवा किया। दूसरे दिन शाकिर ने बहुत सारे उपहार दे कर बिदा किया। 

Sunday 8 July 2018

028 - सत्संग की क्या महिमा है ?

सत्संग तो वो दर्पण है जो मनुष्य के चरित्र को दिखाता है 
मनुष्य के जीवन मे अशांति ,परेशानियां तब शुरु हो जाती है जब मनुष्य के जीवन मे सत्संग नही होता . मनुष्य जीवन को जीता चला जा रहा है लेकिन मनुष्य ईस बारे मे नही सोचता की जीवन को कैसे जीना चाहिये. 
मनुष्य ने धन कमा लिया, मकान बना लिया, शादी घर परिवार बच्चे सब हो गये, गाडी खरीद ली. ये सब कर

Saturday 30 June 2018

027 - हमसे सिमरन क्यों नहीं होता ?

हम सत्संगों में और संत महात्माओं के मुखाग्र से सुनते आते हैं, कि चलते-फिरते उठते-बैठते अपनी लिव नाम के सिमरन के साथ जोड़ के रखो । बहन या माँ किचन में हो या घर का काम काज करते हुए सिमरन करे।

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