Saturday 22 September 2018

035 - हमारा ध्यान सिमरन में क्यों नहीं लगता ?



हम सत्संगों में और संत महात्माओं के मुखाग्र से सुनते आते हैं, कि चलते-फिरते उठते-बैठते अपनी लिव नाम के सिमरन के साथ जोड़ के रखो


बहन या माँ किचन में हो या घर का काम काज करते हुए सिमरन करे। भाई दुकान या ऑफिस में भी अपने ख्याल को सिमरन के साथ जोड़ के रखें। लेकिन संत महात्मा ये भी कहते हैं कि ऐसे नाम का सिमरन

Wednesday 5 September 2018

034 - असली सत्संगी कोन है ?


हम सब यहॉ अपने पुराने कर्मों की वजह से ही इकठे हुए हैं. हर किसी का किसी से कुछ लेनदेन है.
अगर कोई हमें दुख देता है तो वो भी हमसे हमारे पिछले कर्मों का हिसाब ही ले रहा है. और ये तो बहुत अच्छी बात है कि हम अपना हिसाब इसी जन्म में ही पूरा करके चुका दें ताकि दुबारा हमें न आना पड़े.

Monday 13 August 2018

033 - सुकरात को रूहानी ज्ञान कैसे हुआ ?



सुकरात समुन्द्र तट पर टहल रहे थे| उनकी नजर तट पर खड़े एक रोते बच्चे पर पड़ी | 

वो उसके पास गए और प्यार से बच्चे के सिर पर हाथ फेरकर पूछा , -''तुम क्यों रो रहे हो?''

Thursday 2 August 2018

032 - क्या ये इंसान नहीं है ?


एक राजा की आदत थी, कि वह भेस बदलकर लोगों की खैर-ख़बर लिया करता था, एक दिन अपने वज़ीर के साथ गुज़रते हुए शहर के किनारे पर पहुंचा तो देखा एक आदमी गिरा पड़ा है. राजा ने उसको हिलाकर देखा तो

Friday 27 July 2018

031 - हम कर्मो के बन्दनो में कैसे फसे हैं ?


महात्मा बुद्ध की एक कहानी है । वह अपनी यात्रा के दौरान एक जगह आकर रुके। तब एक व्यक्ति उनपर आकर थूकता है तो वो उस व्यक्ति से कहते और कुछ या समाप्त ? तो व्यक्ति हैरान होता उसे उमीद थी के बुद्ध चिलायेंगे क्रोधित होंगे मगर ऐसा नही हुआ और व्यक्ति क्षमा मांग कर और समाप्त कह कर आगे बढ़

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