किसी गांव में एक फकीर घूमा करता था। उसकी सफेद लंबी दाढ़ी थी और हाथ में एक मोटा डंडा। चीथड़ों में लिपटा उसका ढीला—ढीला और झुर्रियों से भरा बुढ़ापे का शरीर। अपने साथ एक गठरी लिए रहता था सदा।
गुरुबॉक्स चैनल महान संतों और उनकी शिक्षाओं को समर्पित है। गुरुबॉक्स का लक्ष्य लोगों को अधिक भजन और सिमरन/ध्यान के लिए प्रेरित करना है।
Sunday 22 July 2018
Thursday 12 July 2018
029 - हमे मालिक की रजा में क्यों रहना चाहिए ?
एक फकीर अरब मे हज के लिए पैदल निकला। रात हो जाने पर एक गांव मे शाकिर नामक व्यक्ति के दरवाजे पर रूका। शाकिर ने फकीर की खूब सेवा किया। दूसरे दिन शाकिर ने बहुत सारे उपहार दे कर बिदा किया।
Sunday 8 July 2018
028 - सत्संग की क्या महिमा है ?
सत्संग तो वो दर्पण है जो मनुष्य के चरित्र को दिखाता है
मनुष्य के जीवन मे अशांति ,परेशानियां तब शुरु हो जाती है जब मनुष्य के जीवन मे सत्संग नही होता . मनुष्य जीवन को जीता चला जा रहा है लेकिन मनुष्य ईस बारे मे नही सोचता की जीवन को कैसे जीना चाहिये.
Saturday 30 June 2018
027 - हमसे सिमरन क्यों नहीं होता ?
हम सत्संगों में और संत महात्माओं के मुखाग्र से सुनते आते हैं, कि चलते-फिरते उठते-बैठते अपनी लिव नाम के सिमरन के साथ जोड़ के रखो । बहन या माँ किचन में हो या घर का काम काज करते हुए सिमरन करे।
Thursday 21 June 2018
Sunday 17 June 2018
025 - असली सेवा क्या होती है ?
जब हज़रत जुनैद बग़दादी क़ाबा को जा रहे था तो उसने रास्ते में एक कुत्ते को देखा, जो ज़ख्मी हालत में पड़ा था। उसके चारों पाँव पर से गाड़ी गुज़र गयी थी और वह चल नही सकता था। फ़क़ीर को रहम आया, लेकिन
Thursday 7 June 2018
024 - मालिक की प्लानिंग का क्या पता ?
पलटू अटक न कीजिए चौरासी घर फेर। बड़ी मुश्किल से आदमी हुए हो बड़ी मुश्किल से!
चौरासी कोटि योनियों के चक्कर काटते—काटते यह असंभव घटा है कि मनुष्य हुए हो। कितने तड़फे होओगे, मनुष्य होने के लिए कितनी—कितनी आकांक्षाएं, अभीप्साएं न की होंगी , कितनी प्रार्थनाएं न की होंगी!
Friday 1 June 2018
Friday 25 May 2018
022 - अनजाने में हम पाप कर्म कैसे करते हैं ?
एक राजा ब्राह्मणों को लंगर में महल के आँगन में भोजन करा रहा था । राजा का रसोईया खुले आँगन में भोजन पका रहा था । उसी समय एक चील अपने पंजे में एक जिंदा साँप को लेकर राजा के महल के उपर से गुजरी । तब पँजों में दबे साँप ने अपनी आत्म-रक्षा में चील से
Thursday 17 May 2018
021 - हमारे विचार कर्मो को कैसे प्रभावित करते हैं ?
बुद्ध ने कहा- "मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ।"
एक राजा हाथी पर बैठकर अपने राज्य का भ्रमण कर रहा था।अचानक वह एक दुकान के सामने रुका और अपने मंत्री से कहा- "मुझे नहीं पता क्यों, पर मैं इस दुकान के स्वामी को फाँसी देना चाहता हूँ।" यह सुनकर
Thursday 10 May 2018
020 - क्रोध में रूह कैसे फैलती है ?
क्रोध में रूह फैलती है। जब क्रोध करो, आँखे लाल सुर्ख़ हो जाती हैं। रोम-रोम खड़ा हो जाता है, चेहरा और ही हो जाता है। यहाँ तक कि आदमी अक़्ल से बेबहरा हो जाता है यानी संतुलन खो बैठता है।
Friday 4 May 2018
019 - हमे कोनसे लोगो की संगत करनी चाहिए ?
परमात्मा अंग संग है रग-रग की जानता है . उन्हे धोखा मत दो गुरूमुखो की संगती करो ताकि यह मन काबू मे आ जाये काम,क्रोध,लोभ,मोह,अंहकार से ऊपर उठ सको. यह मन जो नित नई ख्वाईशे रखता है एक प्रभु को
Saturday 28 April 2018
018 - हमें अपनी करनी का फल क्यों नहीं माँगना चाहिए ?
एक साधु एक शिला (यानी पत्थर) पर बैठा तपस्या कर रहा था। उस साधू ने उस एक पत्थर पर 100 साल तपस्या की। एक दिन जब साधु तपस्या मे बैठा था तब आकाशवाणी हुई की हे साधु हम खुश हैं, मांगो क्या
Thursday 19 April 2018
Friday 13 April 2018
016 - गुरु और भगवान में क्या अंतर है
एक आदमी के घर भगवान और गुरु दोनो पहुंच गये। वह बाहर आया और चरणों में गिरने लगा। वह भगवान के चरणों में गिरा तो भगवान बोले– रुको रुको पहले गुरु के चरणों में जाओ। वह दौड़ कर गुरु के चरणों में गया।
Friday 6 April 2018
015 - हमे कोन से महात्मा के दर्शन करने चाहिए ?
एक बार का ज़िक्र है, एक महात्मा ने कुछ भजन-बन्दगी की। एक दिन भजन-बंदगी के बाद उसने घोषणा की कि जो मेरे दर्शन करेगा वह सीधा स्वर्ग जायेगा। वह पालकी में बैठकर जा रहा था और स्वर्ग के इच्छुक बेशुमार
Sunday 1 April 2018
014 - सतगुरु और परमात्मा में क्या फ़र्क है ?
सतगुरु की महिमा लग्गियाँ ने मौजां ! सदा लाई रक्खीं सोहनेयाँ !! चंगे हां या मंदे हां निभाई रक्खीं सोहनेयाँ !!
सतगुरु और परमात्मा एक ही है । गुरु परमेश्वर एको जान ।
नानक जी ने कितने साफ़ और सुन्दर लफ्जो में फ़रमाया की सतगुरु और परमात्मा एक ही है दोनों में कोई फर्क नही हैं। साथ में ये भी बताया की गुरु कौन सा ? दुनिया में बहुत सारे गुरुओं की भरमार हैं। बचपन में माँ बाप विद्यालय में शिक्षक और भी दुनिया में और भी
Thursday 22 March 2018
013 - एक बहरे आदमी ने सत्संग से लाभ कैसे उठया ?
एक बहरे आदमी ने सत्संग से लाभ कैसे उठया ?
एक संत के पास बहरा आदमी सत्संग सुनने आता था। उसके कान तो थे पर वे नाड़ियों से जुड़े नहीं थे। एकदम बहरा, एक शब्द भी सुन नहीं सकता था। किसी ने संत श्री से कहाः "बाबा जी ! वे जो वृद्ध बैठे हैं, वे कथा सुनते सुनते हँसते तो हैं पर वे बहरे हैं।" बहरे मुख्यतः दो बार हँसते हैं – एक तो कथा सुनते-सुनते जब सभी हँसते हैं
Saturday 10 March 2018
012 - अंतर में कुछ सुनाई या दिखाई क्यों नहीं देता है ?
1 - कोई लोग भजन में रस न मिलने की शिकायत करते हैं या यह कि अंतर में उनको कुछ नहीं खुला। इसका सबब यह है कि या तो उनका मन वक्त अभ्यास के संसारी चाहों या कामों की गुनावन या ख्याल में लगा रहता है या संसारी काम या उनकी गुनावन करके अभ्यास में बैठते है या उनको जो कुछ अंतर में सुनाई या दिखाई देता है, उसकी उनको पहिचान और कदर नहीं है।
Wednesday 7 March 2018
011 - सतगुरु शिष्य की सम्भाल कैसे करते है ?
बड़े हजूर बाबा सावन सिंह जी महराज फरमाया करते थे कि , पूरन सतगुरु नाम दान के दिन से ही शिष्य की सम्भाल करने लगता है। वह एक तरह से शिष्य की साँस बन जाता है। वह फरमाया करते थे गुरु जब नाम देता है, तो शिष्य के अंदर ही बैठता है ।
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1. जो व्यक्ति लगातार अंदर सिमरन - अभ्यास करते रहने की आदत डाल लेता है , उसे बड़ा सुकून मिलता है और उसे लगातार सिमरन कर...
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एक फकीर अरब मे हज के लिए पैदल निकला। रात हो जाने पर एक गांव मे शाकिर नामक व्यक्ति के दरवाजे पर रूका। शाकिर ने फकीर की खूब सेवा किया।...