Friday 28 April 2023

175 - मन भगवान की साधना में क्यों नही लगता ?

मन को वश करके प्रभु चरणों में लगाना बड़ा ही कठिन है। शुरुआत में तो यह इसके लिये तैयार ही नहीं होता है । लेकिन इसे मनाएं कैसे ?

एक शिष्य थे । किन्तु उनका मन किसी भी भगवान की साधना में नही लगता था। साधना करने की इच्छा भी मन मे थी । वे गुरु के पास गये और कहा कि गुरुदेव मन लगता नहीं और साधना करने का मन होता है । कोई ऐसी साधना बताएं जो मन भी लगे और साधना भी हो जाये ।

गुरु ने कहा तुम कल आना । दुसरे दिन वह गुरु के पास पहुँचा तो गुरु ने कहा । सामने रास्ते में कुत्ते के छोटे बच्चे हैं उनमे से दो बच्चे उठा ले आओ और उनकी हफ्ताभर देखभाल करो । गुरु के इस अजीब आदेश को सुनकर वह भक्त चकरा गया लेकिन क्या करे, गुरु का आदेश जो था। वह 2 पिल्लों को पकड़ कर लाया लेकिन जैसे ही छोड़ा वे भाग गये। वह फिर से पकड़ लाया लेकिन वे फिर भागे । 

अब उसने उन्हें पकड़ लिया और दूध रोटी खिलायी । अब वे पिल्ले उसके पास रमने लगे। सप्ताहभर उन की ऐसी सेवा यत्न पूर्वक की कि अब वे उसका साथ छोड़ नही रहे थे । वह जहाँ भी जाता पिल्ले उसके पीछे-पीछे भागते। यह देख गुरु ने दूसरा आदेश दिया कि इन पिल्लों को भगा दो। भक्त के लाख प्रयास के बाद भी वह पिल्ले नहीं भागे ।

तब गुरु ने कहा देखो बेटा ! शुरुआत मे ये बच्चे तुम्हारे पास कहां रुकते थे । लेकिन जैसे ही तुमने उनके पास ज़्यादा समय बिताया ये तुम्हारे बिना रहने को तैयार नहीं हैं। ठीक इसी प्रकार खुद जितना ज़्यादा वक्त भगवान के पास बैठोगे, मन धीरे-धीरे भगवान की सुगन्ध, आनन्द से उनमें रमता चला जायेगा।

हम अक्सर चलती-फिरती पूजा करते है, तो भगवान में मन कैसे लगेगा? जितनी ज्यादा देर ईश्वर के पास बैठोगे उतना ही मन ईश्वर रस का मधुपान करेगा और एक दिन ऐसा आएगा कि उनके बिना आप रह नही पाओगे । शिष्य को अपने मन को वश में करने का मर्म समझ में आ गया और वह गुरु आज्ञा से भजन सुमिरन करने चल दिया। 

बिन गुरु ज्ञान कहां से पाऊं !! 


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