Friday 26 March 2021

135 - भजन और भोजन की क्या महत्वता है ?

एक भिखारी सेठ के घर के बाहर खड़ा होकर भजन गा रहा था और बदले में खाने को रोटी मांग रहा था। सेठानी काफी देर से उसको कह रही थी,आ रही हूँ। रोटी हाथ मे थी पर फिर भी कह रही थी की

रुको आ रही हूँ। भिखारी भजन गा रहा था और रोटी  मांग रहा था।

          सेठ ये सब देख रहा था, पर समझ नही पा रहा था, आखिर सेठानी से बोला, "रोटी हाथ में लेकर खडी हो, वो बाहर मांग रहा है, उसे कह रही हो आ रही हूँ तो उसे रोटी  क्यो नही दे रही हो ?"

          सेठानी बोली, "हाँ रोटी दूँगी, पर क्या है ना की मुझे उसका भजन बहुत प्यारा लग रहा हैं, अगर उसको रोटी  दूँगी तो वो आगे चला जायेगा। मुझे उसका भजन और सुनना है।"

          यदि प्रार्थना के बाद भी भगवान आपकी नही सुन रहे हैं तो समझना की उस  सेठा
नी की तरह प्रभु को आपकी प्रार्थना प्यारी लग रही है, इसलिये इंतजार करो और प्रार्थना करते रहो।

        जीवन मे कैसा भी दुख और कष्ट आये पर भक्ति मत छोड़िए। क्या कष्ट आता है तो आप भोजन करना छोड देते हैं ? क्या बीमारी आती है तो आप सांस लेना छोड देते हैं ? नही ना ? फिर जरा सी तकलीफ आने पर आप भक्ति करना क्यों छोड़ देते हो ?

 कभी भी दो चीज मत छोड़िये, भजन और भोजन। 
भोजन छोड़ दोगे तो जिंदा नहीं रहोगे, 
भजन छोड़ दोगे तो कहीं के नही रहोगे। 

सही मायने में भजन और भोजन दोनों ही आवश्यक हैं।

1 comment:

  1. भजन एवं भोजन के महत्व से धैर्य धारण कर ईश्वर के प्रति विश्वास अर्जित करना

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