Sunday 14 February 2021

130 - सेवा भाव से की गयी गलती की क्या सजा होती है ?

 एक बार एक राजा भोजन कर रहा था, अचानक खाना परोस रहे सेवक के हाथ से थोड़ी सी सब्जी राजा के कपड़ों पर छलक गई। राजा की त्यौरियां चढ़ गयीं। 

जब सेवक ने यह देखा तो वह थोड़ा घबराया, लेकिन कुछ सोचकर उसने प्याले की बची सारी सब्जी भी राजा के कपड़ों पर उड़ेल दी। अब तो राजा के क्रोध की सीमा न रही। उसने सेवक से पूछा, 'तुमने ऐसा करने का दुस्साहस कैसे किया ?

सेवक ने अत्यंत शांत भाव से उत्तर दिया, महाराज ! पहले आपका गुस्सा देखकर मैनें समझ लिया था कि अब जान नहीं बचेगी। लेकिन फिर सोचा कि लोग कहेंगे की राजा ने छोटी सी गलती पर एक बेगुनाह को मौत की सजा दी। ऐसे में आपकी बदनामी होती। तब मैनें सोचा कि सारी सब्जी ही उड़ेल दूं। ताकि दुनिया आपको बदनाम न करे। और मुझे ही अपराधी समझे।

राजा को उसके जबाव में एक गंभीर संदेश के दर्शन हुए और पता चला कि सेवक भाव कितना कठिन है। जो समर्पित भाव से सेवा करता है उससे कभी गलती भी हो सकती है फिर चाहे वह सेवक हो, मित्र हो, या परिवार का कोई सदस्य, ऐसे समर्पित लोगों की गलतियों पर नाराज न होकर उनके प्रेम व समर्पण का सम्मान करना चाहिए।

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