Saturday 12 September 2020

111 - सत्संग की तडप या बेचैनी क्यां होती है ?

 

आज कल सभी के मन में एक ही प्रश्न - संगत कब शुरू होगी? जो भी मिल रहा है यही कहता है की संगत के बगैर बहुत बेचैनी हो रही है। मन नहीं लग रहा है। अजीब सी बैचैनी है जो पहले कभी नहीं

थी। 

ये बेचैनी क्या है ?

ये बैचैनी क्यों है ? 

और कब से कब तक रहेगी ?


    एक छोटी सी मछली ने पूछा, यह तड़प या बेचैनी क्या होती है? बड़ी मछली ने उसे नदी के किनारे ढकेल दिया। पानी के बगैर वह तड़पने लगी, छटपटाने लगी। थोड़ी देर में बड़ी मछली ने पानी का एक रेला उस तरफ फेंका और वह मछली फिर नदी के अंदर आ गई। उसे राहत मिली। तब उसे पता चला तड़प किसे कहते हैं बेचैनी किसे कहते हैं? पानी में रहते उसे कभी महसूस नहीं हुआ कि बैचैनी क्या है ? पानी के बगैर उसे बेचैनी का अनुभव हुआ।

      इसी तरह से कुछ समय के लिए सतगुरु  ने सत्संग बंद करके हमें सत्संग की अहमियत का अनुभव करा दिया हैं। सत्संग से जुड़े रहने पर हमें इसकी कदर महसूस नहीं ही रही थी।

      अब हम सत्संग की कीमत व तड़प महसूस कर रहे हैं। सतगुरु  ने कृपा कि इस समय हमें सिमरन के द्वारा निरंकार से जुड़ने का इसकी अनुभूति करने का अवसर दिया। घर बैठे बैठे अपना आत्म निरीक्षण करने का मौका दिया है।

        अब सतगुरु  के चरणों में अरदास है सतगुरु जी  जल्द से जल्द इस कोरोना बीमारी को ही नहीं बल्कि अन्य सभी शारीरिक व मानसिक बीमारियों को भी संसार से मिटा दीजिए । सब जगह शांति आए, अमन आए, सुकून आए। सभी स्वस्थ हों। सभी निरोगी हों। सभी सुखी हों। सभी प्यार से मिलजुलकर रहें।

      किसी को कोई भी कमी न रहे, खुशी दे दो इतनी कि कोई गमी न रहे।सतगुरु  जी अब सत्संग जल्द से जल्द शुरू करा दीजिए, ताकि हम लोगों के अंदर की बेचैनी, घबराहट व परेशानी दूर हो और सभी आनंद व सुकून महसूस करें।

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