Friday 3 July 2020

103 - अमृत वेले में उठने के लिए रात्रि सोने का रूटीन क्या होना चाहिए ?


अमृत वेले में उठने के लिए रात्रि सोने का रूटीन भी ठीक करने की जरुरत है.

महाराज जी ने नींद के विषय में फ़रमाया था “गुरुमुखों के लिए 4 घंटे की नींद काफी होती है, 6 घंटे वो सोये जो भारी भरकम काम करता हो.”, इन वचनों के हिसाब से 6 घंटे आखिरी सीमा है. बाकी अपने शरीर, परिश्रम और उम्र के हिसाब से हम अपने लिए ठीक समय निर्धारित कर सकते हैं. औसतन, 5 घंटे की नींद पर्याप्त होती है, इससे ज्यादा सोना समय की बर्बादी है. पर अपना नींद का समय धीरे-धीरे अडजस्ट करें.

5 घंटे के हिसाब से रात्रि 11 बजे सोकर भी 4 बजे उठा जा सकता है, रात्रि सोने से पहले श्री चरणों में प्रार्थना करके सोयें कि “हे कृपानिधान सतगुरु ! हमें अमृत वेले की दात बख्शना”, ये प्रार्थना और 10-15 मिनट का सिमरन करके सोयें. नींद आने तक स्वांसों में नाम चलता रहे. इससे एक बहुत बड़ा फायदा ये होता है कि सारी रात सिमरन चलता ही रहता है. नींद में करवट लेने पर पर भी सिमरन का पता चलता है. यह अपने आप में एक महान उपलब्धि है. क्योंकि नींद मौत की तरह होती है. अगर नींद में सिमरन चल सकता है, तो इस बात की अच्छी सम्भावना है कि आखिरी नींद अर्थात मौत के समय भी सिमरन चलता रहेगा. ये सब महाराज जी कि अनंत कृपा और दया से ही संभव होता है.

नींद आने तक ध्यान भ्रूमध्य (दोनों eyebrows के बीच में) में लगा कर लेटे लेटे सिमरन करते रहें, इससे सिमरन हमारे अवचेतन में उतर जाता है. रात सोने से पहले 15-20 मिनट सिमरन का रूटीन अवश्य बनायें.

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