Sunday 8 July 2018

028 - सत्संग की क्या महिमा है ?

सत्संग तो वो दर्पण है जो मनुष्य के चरित्र को दिखाता है 
मनुष्य के जीवन मे अशांति ,परेशानियां तब शुरु हो जाती है जब मनुष्य के जीवन मे सत्संग नही होता . मनुष्य जीवन को जीता चला जा रहा है लेकिन मनुष्य ईस बारे मे नही सोचता की जीवन को कैसे जीना चाहिये. 
मनुष्य ने धन कमा लिया, मकान बना लिया, शादी घर परिवार बच्चे सब हो गये, गाडी खरीद ली. ये सब कर

Saturday 30 June 2018

027 - हमसे सिमरन क्यों नहीं होता ?

हम सत्संगों में और संत महात्माओं के मुखाग्र से सुनते आते हैं, कि चलते-फिरते उठते-बैठते अपनी लिव नाम के सिमरन के साथ जोड़ के रखो । बहन या माँ किचन में हो या घर का काम काज करते हुए सिमरन करे।

Thursday 21 June 2018

026 - महात्मा के दो शब्द ने कैसे जीवन बदल दिया ?


किसी नगर में एक बूढ़ा चोर रहता था। सोलह वर्षीय उसका एक लड़का भी था। चोर जब ज्यादा बूढ़ा हो गया तो अपने बेटे को चोरी की विद्या सिखाने लगा। कुछ ही दिनों में वह लड़का चोरी विद्या में प्रवीण हो गया!

Sunday 17 June 2018

025 - असली सेवा क्या होती है ?

जब हज़रत जुनैद बग़दादी क़ाबा को जा रहे था तो उसने रास्ते में एक कुत्ते को देखा, जो ज़ख्मी हालत में पड़ा था। उसके चारों पाँव पर से गाड़ी गुज़र गयी थी और वह चल नही सकता था। फ़क़ीर को रहम आया, लेकिन

Thursday 7 June 2018

024 - मालिक की प्लानिंग का क्या पता ?


पलटू अटक न कीजिए चौरासी घर फेर। बड़ी मुश्किल से आदमी हुए हो बड़ी मुश्किल से! 

चौरासी कोटि योनियों के चक्कर काटते—काटते यह असंभव घटा है कि मनुष्य हुए हो। कितने तड़फे होओगे, मनुष्य होने के लिए कितनी—कितनी आकांक्षाएं, अभीप्साएं न की होंगी , कितनी प्रार्थनाएं न की होंगी! 

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