Sunday 22 November 2020

121 - एक सत्संगी के जीवन में प्रतीक्षा, परीक्षा और समीक्षा का क्या महत्व है ?

                                              

तीन बातें भक्त के जीवन में जरूर होनी चाहिएं ,  प्रतीक्षा, परीक्षा और समीक्षा। भक्ति के मार्ग में प्रतीक्षा बहुत

Friday 13 November 2020

120 - प्रारब्ध कितने तरह के होते है ?


 
एक व्यक्ति हमेशा ईश्वर के नाम का जाप किया करता था । धीरे धीरे वह काफी बुजुर्ग हो चला था इसीलिए एक कमरे मे ही पड़ा रहता था । जब भी

Monday 9 November 2020

Saturday 31 October 2020

118 - सतगुरु पर विश्वास की ताकत क्या होती है ?

जब गुरु नानक देव जी किशोर अवस्था के थे, उन्हें उनके पिता ने फसलों की देखरेख के लिए खेत भेजा. वे खेत में जाकर प्रकृति के सौन्दर्य और गुरु ध्यान में लीन हो गए।

Monday 26 October 2020

117 - एक सत्संगी का अंत समय कैसे होता है ?



परम संत सावन शाह महाराज जी ने समझाया है कि जो लोग जीते जी भजन सुमिरन करके पर्दा खोल लेते हैं , उनको 6 महीने पहले अपनी मौत की खबर हो जाती है और जो मामूली कमाई वाले हैं उनको सतगुरु 2 या 3 दिन पहले आकर बता देते हैं कि तुमको फलां वक्त ले चलेंगे ।

Monday 19 October 2020

116 - आत्मा और परमात्मा में क्या अंतर है ?

आत्मा और परमात्मा में अंतर जानने से पहले हम उन के मूल स्वरुप को देखे और प्रकति क्या है ।

(1) इश्वर अज्ञात है - अगर हम कोई भी चीज जानते है तो उस का आकार निर्धारित हो जाता है .जिसका आकार है वो न तो निराकार है और न ही अनन्त .

Saturday 10 October 2020

115 - नाम की कमाई का क्या महत्व है ?

एक गांव में एक नौजवान को परम संत तुलसी साहब का सत्संग सुनने का बड़ा शौक था . नौजवान को किसी से पता चला कि गांव के बाहर नदी के उस पार परम संत ने डेरा लगाया हुआ है और आज

Saturday 3 October 2020

114 - मोन रहने की क्या महत्ता है ?

  एक मछलीमार कांटा डाले तालाब के किनारे बैठा था। काफी समय बाद भी कोई मछली कांटे में नहीं फँसी, ना ही कोई हलचल हुई तो वह सोचने लगा. 

Friday 25 September 2020

113 - हमे दुःख और तख़लीफ़ क्यों आते हैं ?

गुरु का सच्चा सिमरन करने से आहिस्ता-आहिस्ता हमारे अंदर इतनी सहनशीलता आ जाती है की हम बिना संतुलन खोए जीवन में आनेवाले

Sunday 20 September 2020

112 - पक्के साधक कैसे बने ?

एक बार एक गुरूजी, अपने शिष्यों को भक्ति का उपदेश देते हुए समझा रहे थे कि  "बच्चों पक्के साधक बनो, कच्चे साधक ना बने रहो।

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